जिले के विभिन्न ब्लॉक के लगभग 885 शिक्षकों ने संकुल शिक्षक के पद से सामूहिक त्यागपत्र दे दिया। शिक्षक
संकुल की नियुक्ति न्याय पंचायत स्तर पर गुणवत्ता संवर्द्धन हेतु वर्ष 2020 में हुई थी। उ0प्र0 सरकार केशासनादेश संख्या 123/68-05-2020 दिनांक 17 मार्च, 2020 के बिंदु संख्या- 5.2 तथा महानिदेशक, स्कूल शिक्षा व राज्य परियोजना कार्यालय के पत्र पत्रांक- गुण0वि0/शिक्षक संकुल/3966/2020-21 दिनांक- 07 सितम्बर,2020 के बिंदु संख्या- 14 के अनुसार "एक शिक्षक संकुल का कार्यकाल 01 वर्ष का होगा।परफॉर्मेंस रिव्यू के आधार पर यदि संकुल का कार्य बेहतर पाया जाता है तो अगले वर्ष पुनः कार्य करने का मौका दिया जाएगा।कोई एक सदस्य अधिकतम 02 वर्ष तक लगातार शिक्षक संकुल रह सकता है।"संकुल शिक्षकों का कहना है कि इन नियमों के अनुसार संकुल शिक्षकों की नियुक्ति के पश्चात लगतार चौथे साल हम सभी से कार्य लिया जा रहा है, जो कि शासनादेश का उल्लंघन है।चूंकि शिक्षक संकुल की नियुक्ति शिक्षा की गुणवत्ता संवर्द्धन तथा विद्यालयों के प्रदर्शन बेहतर करने हेतु की गई थी जबकि शिक्षक संकुलों पर हमेशा अनावश्यक दबाव बना के इसके इतर अनेक कार्य समय-समय पर लिए जाते हैं, जिन कार्यो का सम्बंध शिक्षक संकुल के कार्य व दायित्व की सीमा में नही आता।
अचानक से जिले के सभी संकुल शिक्षकों के अपने पद से त्यागपत्र देने से बेसिक शिक्षा विभाग में बहुत बड़ा उथल-पुथल हो गया है। कार्यालय का न्याय पंचायत स्तर से सीधे सम्बन्ध का पूरा नेटवर्क एक झटके में ही टूट गया है जिससे बेसिक शिक्षा विभाग हलकान है।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने जनपद के समस्त विकास खण्ड के लगभग सभी शिक्षक संकुल के अपने पदीय दायित्व से हटने की कार्यवाही को शिक्षक हित में बड़ा कदम बताया है। जिला संयोजक जयशिव प्रताप चंद ने कहा कि शासनादेश के खिलाफ जाकर संकुल शिक्षकों से जबरिया कार्य लिया जा रहा है जो उनका मानसिक शोषण है. इस प्रकार के अनावश्यक दबाव व डिजिटाइजेशन के विरोध में संकुलों के इस्तीफे का संगठन शिक्षक हित में इस कदम का स्वागत करता है।कि
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें